kanchan singla

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वीरों की कहानी कलम की जुबानी

जब जब कलम उठा अपनी
जब भी मैं लिखना चाहूं 
हर एक अहसास मेरा
लिखना चाहे तुमको ही
हे मेरे भारत के वीर बलिदानी
मेरी कलम बस लिखती तुमको
हर वो किस्सा, हर वो हिस्सा
जिसे इतिहास में जगह ना मिली
उसे ही मेरी कलम के पन्नों की पनाह मिली
हर आंसू जोड़ कर शब्द में पिरो कर तुमको
गर्व से मैं लिखना चाहूं गाथा कुर्बानी की
देश के जवानों की, सच्चे स्वाभिमानों की ।।

यह कलम का जादू नहीं है
यह कहानी है उन वीरों की
फांसी पर चढ़ना हो
या लाठियों से कुचले जाना हो
हो चाहे भुन जाना गोली के अंगारों से
था सब मंजूर, आजादी की कीमत थी
हठ था उन वैरागियों का 
तप था उन सनातनियों का
बार बार गिर कर उठते थे
लड़ना कभी ना छोड़ते थे
था ह्रदय उनका इतना विशाल
शत्रु को भी माफ़ी देते थे
हुंकार भरी दहाड़ से उनकी
दुश्मन कांप उठते थे
रण छोड़ जा छिपते थे
दिखने में अबला सी नारी थी
बार बार उनसे भी मुंह की खानी पड़ी थी
भारत मां की बेटियां अपनी रक्षा की खातिर
तलवार लिए खड़ी थी
हो अग्नि कुंड या तीर कमान
सारे रण कौशल में माहिर थी
मुगल हो या हो अंग्रेजी सेना
उनसे बारंबार हारी थी
भारत की भूमि वीरो की जननी थी।।

- कंचन सिंगला
लेखनी प्रतियोगिता -20-Nov-2022

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7 Comments

लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Gunjan Kamal

22-Nov-2022 11:03 PM

बहुत ही सुन्दर

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Sachin dev

21-Nov-2022 04:47 PM

Well done ✅

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